ByNews14india/शरनजीत तेतरी
रायपुर। जगतगुरु शंकराचार्य ज्योतिष पीठाधीश्वर एवं द्वारका शारदा पीठाधीश्वर स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के आश्रम में पौष मास के पुनीत पर्व तीसरे महा रविवार को चल रही सूर्य उपासना में डॉ इन्दुभवानंद जी महाराज ने बताया कि सूर्य समस्त ब्रह्मांड का महाप्राण है सूर्य से ही ऊष्मा और प्रकाश दोनों ही प्राप्त होता है
ऊष्मा ऊर्जा का स्रोत है सूर्य से मिलने वाली ऊर्जा से ही लकड़ी कोयला पेट्रोल आदि बनते हैं
समुद्र का जल भाप बनकर वर्षा के रूप में पहाड़ों पर जो वृष्टि होती है वह वृष्टि भगवान सूर्य के द्वारा ही होती है पहाड़ों पर जमी हुई बर्फ सूर्य रश्मि यों से चलकर जल रूप में परिणित होकर नदियो के रूप में प्रवाहित होती हैं यह भी भगवान सूर्य के द्वारा होता है आंधी हवा तूफान आदि भी सूर्य की ऊष्मा से ऊर्जा पाकर चलते हैं पृथ्वी पर जल स्रोतों से हमें ऊर्जा प्राप्त होती है वह सब सूर्य से ही प्राप्त ऊर्जा कहलाते हैं ऊर्जा का असली स्रोत पृथ्वी पर भगवान सूर्य ही हैं सूर्य के बिना पृथ्वी पर किसी भी जीव की कल्पना करना संभव नहीं है सूर्य भगवान समस्त ब्रह्मांड पृथ्वी मंडल के महाप्राण हैं सूर्य से चंद्रमा व अन्य तारा ग्रह भी प्रकाशित वह अनुप्राणित होते हैं सूर्य से विभिन्न प्रकार की गैस है जैसे कैल्शियम हाइड्रोजन आदि भी निःसरित होती हैं जो मानव जीवन के लिए अत्यंत उपादेए है
10 करोड़ मील दूरी पर स्थित भगवान भुवन भास्कर आज भी पृथ्वी का पोषण कर रहे हैं आध्यात्मिक और भौतिक दोनों ही दृष्टि से भगवान सूर्य जगत के उपकारक हैं उनकी उपासना करना प्रत्येक प्राणी का नैतिक धर्म बनता है पौष मास के अत्यंत पावन पुनीत पर्व पर भगवान सूर्य का अर्घ्य देकर उपस्थान देकर संतुष्ट करना चाहिए क्योंकि सूर्य देवता ही नहीं उष्मा और प्रकाश का भी स्रोत है